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नई दिल्ली के निधन के 50 दिन से भी ज्यादा दिन बीत गए हैं, लेकिन कांग्रेस उनका विकल्प नहीं ढूंढ पाई है। 20 जुलाई से का पद खाली है, कांग्रेस बिना प्रदेश अध्यक्ष के ही चल रही है। आफसी फूट और गुटबाजी की भेंट चढ़ चुकी कांग्रेस को अभी एक ऐसे नेता की दरकार है, जो सबको साथ में लेकर चल सके, लेकिन विलंब की वजह से कार्यकर्ताओं में घोर निराशा है। वहीं, एक तरफ दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी आप लगातार जनसंवाद से जुड़ रही है और बीजेपी भी इसमें पीछे नहीं है। लेकिन जो कांग्रेस प्रदेश में अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रही है, उसका उदासीन रवैया उनके कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। राहुल गांधी के इस्तीफे की वजह से एआईसीसी में लगभग बड़े फैसले पर रोक लगी हुई थी, इसलिए 20 जुलाई को शीला के निधन के बाद भी इस मुद्दे पर कुछ खास पहल नहीं हो पाई। लेकिन 10 अगस्त को सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष चुने जाने के बाद एक उम्मीद जगी थी कि प्रदेश अध्यक्ष पर अब जल्दी फैसला हो सकता है। ऐसे संकेत भी मिलने लगे थे, क्योंकि इस बीच कई दौर की मीटिंग हुई। सोनिया ने प्रदेश के लगभग सभी नेताओं से मुलाकात की और इस मुद्दे पर चर्चा भी की। 5 सितंबर को पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के साथ हुई बैठक के बाद तो उम्मीद परवान चढ़ गई, क्योंकि बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने बयान दिया कि अगले दो से तीन दिनों में इस पर फैसला हो जाएगा। लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। सूत्रों की मानें तो प्रदेश प्रभारी सोनिया गांधी के यहां से बुलावे का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन दिल्ली के नेताओं का कहना है कि एक तरफ पार्टी की स्थिति इतनी कमजोर है कि इसे नए सिरे से उठाने की जरूरत है। जानकारों की मानें तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जनता ने जो भी विश्वास किया था, वह एक बार फिर से धूमिल हो रही है और इसके लिए कहीं न कहीं कांग्रेस की अपनी रणनीति जिम्मेदार है। पार्टी को जल्द से जल्द अध्यक्ष की जरूरत है, जो विधानसभा चुनाव को लेकर कोई रणनीति बना सके, दिल्ली सरकार के खिलाफ आंदोलन कर सके। उल्टा पार्टी के नेता और कार्यकर्ता घरों में बैठे हुए हैं, प्रदेश ऑफिस में भी लगभग सन्नाटा पसरा रहता है। वहीं दूसरी ओर जहां एक तरफ आम आदमी पार्टी पूरी तरह से एक्टिव है और जनसंवाद यात्रा के जरिए जनता तक पहुंच रही है, वहीं बीजेपी ने भी परिवर्तन यात्रा चला रखी है। हालांकि इस मुद्दे पर प्रदेश के एक कांग्रेस नेता का कहना है कि फैसला तो हो चुका है, अब सही समय का इंतजार है।
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